आखिर क्या है इंसानी मस्तिष्क में चिप लगाने वाला Neuralink – जानकारी हिंदी में

दोस्तों, आज Artificial Intelligence हम सब की ज़िन्दगी का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। पर क्या आप जानते है की अब यह तकनीक मानव शरीर का भी हिस्सा बन सकती है। Neuralink ऐसी ही एक तकनीक BMI (ब्रेन मशीन इंटरफ़ेस) के विकास में लगी है, जो मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा संपर्क स्थापित कर सकता है। तो चलिए समझते है – “आखिर क्या है इंसानी मस्तिष्क में चिप लगने वाला Neuralink”। 

Neuralink kya hai

न्यूरालिंक क्या है । What is Neuralink 

असल में Neuralink प्रसिद्ध अमेरिकी उद्यमी Elon Musk के द्वारा 2016 में स्थापित एक कंपनी है। यह कंपनी BMI (ब्रेन मशीन इंटरफ़ेस) की तकनीक पर आधारित एक ऐसा डिवाइस विकसित कर रही जो मानव मस्तिष्क में इम्प्लांट किया जा सके। दूसरे शब्दों में कहे तो यह डिवाइस मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच direct interface स्थापित करेगा।

ऐसी स्थिति में कंप्यूटर सीधे मस्तिष्क की सोच से ही संचालित होने लगेगा। यह तकनीक उनलोगों के लिए विशेष लाभकारी होगी जो किसी प्रकार की न्यूरोलॉजिकल समस्या से पीड़ित हैं।

शुरुआती दौर में यह डिवाइस बंदरों और सूअर पर टेस्ट किया गया। 2023 के मई में कंपनी को मनुष्य पर टेस्ट के लिए FDA से अनुमति मिली। अंततः 2024 की शुरुआत में Elon Musk ने एक मानव के मस्तिष्क में Neuralink डिवाइस के सफल प्रत्यारोपण की घोषणा की जिसे एक बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है।

न्यूरालिंक काम कैसे करता है । How does Neuralink work

डिवाइस का प्रत्यारोपण 

न्यूरालिंक डिवाइस एक सिक्के के आकार का चिप के रूप में होता है जिसे Llink कहते है। इस चिप को शल्य चिकित्सा द्वारा दिमाग में प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें कई पतले धागे जुड़े होते है जो इंसानी बाल से भी पतले होते है। इन्हे Threads कहा जाता है। ये धागे मस्तिष्क के न्यूरॉन से बहुत ही बारीकी (Precision) के साथ जोड़े जाते हैं। यह काम इतनी विशुद्धता का है कि इसे रोबोट के द्वारा ही कराया जाता है। 

Signals read करना

मस्तिष्क के न्यूरॉन्स एक्टिव होने पर Electrical Signals पैदा करते हैं। चिप इन signals को पढ़ती है और उसको decode करके डिजिटल डाटा में बदल देती है।

डाटा का ट्रांसफर 

इसके बाद चिप वायरलेस तकनीक के माध्यम से इस डाटा को कंप्यूटर या स्मार्टफोन तक भेजता है। अब कंप्यूटर इस डाटा का प्रयोग instruction देने, मशीन को कण्ट्रोल करने या फिर न्यूरोलॉजिकल बिमारियों के इलाज़ में करता है। इसके अलावे Neuralink मस्तिष्क को रिवर्स सिग्नल भी भेज सकता है। 

न्यूरालिंक  का अनुप्रयोग । Application of Neuralink

 # चिकित्सा के क्षेत्र में : अनेक न्यूरोलॉजिकल बिमारियों जैसे Parkinson’s disease, Alzhiemer, Epilepsy, स्पाइनल कॉर्ड की injury के इलाज़ में इसका प्रयोग है। पैरालिसिस से पीड़ित लोग इस चिप के माध्यम से अपने रोबोटिक अंगो को कण्ट्रोल कर सकते है। मूक और बधिर (deaf and dumb) व्यक्ति न्यूरालिंक के माध्यम से संवाद करने में सक्षम होता है। 

 # मानव और Artificial Intellegence के बीच समन्वय (Integreation) : Neuralink के जरिये मानव अपनी सोच से ही कंप्यूटर या स्मार्टफोन को नियंत्रित कर सकता है। साथ ही इस तालमेल से नयी मानव क्षमताओं का भी विकास होता है। 

 # मनोरंजन के लिए प्रयोग : गेमिंग और वर्चुअल रियलिटी के अनुभव को और अधिक वास्तविक करने में इस का प्रयोग किया जा सकता है। 

 # डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं को दूर करने में न्यूरालिंक से मदद मिल सकती है। 

 # मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने में : इस तकनीक से मानव के याददाश्त की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। साथ ही कोई नयी भाषा या कौशल तुरंत सीखी जा सकती है। 

न्यूरालिंक के संभावित खतरे  । Potential risks of Neuralink 

# प्राइवेसी और डाटा सिक्योरिटी पर खतरा : यदि न्यूरालिंक का चिप हैक हो जाये या फिर उसका डाटा लीक हो जाये तो उससे हमारे विचारो और यादों का दुरूपयोग किया जा सकता है। 

# न्यूरालिंक से दिमाग को लगातार नियंत्रित करने से मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। यह अनेक मानसिक विकृति का कारण भी बन सकता है।  

# न्यूरालिंक का प्रयोग विभिन्न अथॉरिटी के द्वारा किसी की निगरानी रखने या विचारों को प्रभावित या नियंत्रित करने में किया जा सकता है। इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।  

# सर्जरी के जरिये दिमाग में चिप इम्प्लांट करने के भी खतरे है जैसे की इन्फेक्शन या दिमाग में चोट, साथ ही यह दिमाग की कार्यप्रणाली में अनियमितता हो सकता है। अभी तक चिप का मानव मस्तिष्क का दीर्घकालिक प्रभाव भी नहीं स्पष्ट है। 

# कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा चिप के प्रयोग करने और कुछ के न करने से समाज में असमानता आ सकती है क्यूंकि यह लोगों की मानसिक और शारीरिक क्षमता में अंतर ला सकता है। 

चलते चलते -आखिर क्या है Neuralink Hindi me 

तो दोस्तों अब आप Neuralink के बारे में जान गए होंगे की यह आधुनिक तकनीक और Neuroscience के मिलने से बना क्रन्तिकारी product है। हालांकि यह तकनीक अभी शुरुआती चरण में है। साथ ही इसको लेकर  नैतिक और सामजिक प्रश्न भी लगातार उठाये जा रहे हैं। इसके दुरूपयोग होने को रोकने के लिए कड़े नियम बनाने और उनका पालन सुनिश्चित किया जाना होगा। साथ ही data privacy का भी ध्यान रखना होगा।  अंत में कहा जाये तो Neuralink एक जटिल तकनीक है। इसकी सफलता के लिए इसके नैतिक पक्ष की सफलता भी जरूरी है। 

उम्मीद है आपको “आखिर क्या है इंसानी मस्तिष्क में चिप लगाने वाला Neuralink” जानकारी पसंद आयी होगी। ऐसे ही आपको किसी और विषय में जानकारी चाहिए तो कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें। साथ ही आपसे अनुरोध है की अगर मेरा प्रयास आपको सार्थक लगे तो इस आर्टिकल को सोशल मीडिया जैसे facebook ,twitter पर जरूर शेयर करें।  

धन्यवाद !!

Neuralink क्या होता है : FAQs

प्रश्न-1. Neuralink क्या है?

उत्तर: Neuralink एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है जिसे एलन मस्क ने 2016 में स्थापित किया। यह मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा कनेक्शन स्थापित करने के लिए ब्रेन-चिप इंटरफेस विकसित कर रही है।

प्रश्न-2. Neuralink का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: Neuralink का मुख्य उद्देश्य मानव मस्तिष्क और मशीनों के बीच इंटरफेस तैयार करना है ताकि neurological disorders (तंत्रिका विकारों) का इलाज किया जा सके और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके।

प्रश्न-3. Neuralink कैसे काम करता है?

उत्तर: Neuralink एक माइक्रोचिप (brain-computer interface) का उपयोग करता है, जिसे मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह चिप न्यूरॉन्स के साथ संवाद करती है और मस्तिष्क से निकलने वाले सिग्नल्स को कंप्यूटर या अन्य डिवाइस तक भेजती है।

प्रश्न-4. Neuralink चिप को मस्तिष्क में कैसे लगाया जाता है?

उत्तर: Neuralink चिप को एक सर्जिकल रोबोट की मदद से मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत सटीक और minimally invasive होती है।

प्रश्न-5. Neuralink के भारत में उपयोग की क्या संभावनाएं हैं?

उत्तर: भारत में Neuralink का उपयोग स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। यह paralysis, न्यूरोलॉजिकल disorders और रीहैबिलिटेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए व्यापक शोध की आवश्यकता होगी।

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